सिद्धिदात्री के स्वरूप में भक्तजनों ने मां विंध्यवासिनी के दर्शन किए और हवन कुंड में आहुतियां डालकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। चैत्र नवरात्र की नवमी पर भोर से ही भक्तों की लंबी कतारें लग गई थीं। शृंगार और आरती के बाद कपाट खुलते ही दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हो गया।
भक्तों ने काली खोह में महाकाली और अष्टभुजा पहाड़ पर मां अष्टभुजी देवी के चरणों में भी शीश नवाए। विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने बताया कि रात तक तीन लाख भक्तों ने मां के दर्शन किए। वहीं, घरों में कन्या पूजन भी किया गया। कन्याओं के पैर धोने के बाद उन्हें आदर के साथ भोजन कराया गया। अंत में उपहार देकर विदा किया गया।
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