210 करोड़ की रिवैंप योजना, फिर भी नहीं सुधरी बिजली व्यवस्था

मिर्जापुर। जिले में 210 करोड़ की रिवैंप योजना के बाद भी बिजली व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई। ग्रामीण इलाकों ही नहीं, नगर में भी बांस-बल्लियों के सहारे बिजली की आपूर्ति हो रही है। इससे आपूर्ति बाधित होने के साथ ही जगह-जगह तार लटकने से हादसे का खतरा बना रहता है। पटेहरा ब्लॉक के 15 से ज्यादा गांवों में बांस के सहारे ही तार खींचकर कनेक्शन दे दिए गए हैं।
नगर के पुरानी दशमी व चंद्रदीपा वार्ड के कई मोहल्लों में बांस या बल्ली के सहारे बिजली के तार पोल से लोगों के घरों तक ले जाए गए हैं। बांसों के सहारे ही पूरे मोहल्ले के कनेक्शन टिके हुए हैं। इससे जहां दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है, वहीं बिजली आपूर्ति भी बाधित होती रहती है।
रिवैंप योजना के तहत जर्जर तार और खंभे बदलने का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। सड़कों पर खंभे रख दिए गए हैं लेकिन बदले की सुध अधिकारियों को नहीं है। ऐसे में कई इलाकों में बांस-बल्ली के सहारे ही आपूर्ति हो रही है। स्थानीय नागरिक रामलाल का कहना है कि कनेक्शन का पैसा देने के बाद भी तार अपने पैसे से खरीदा व स्थानीय लोगों ने ही बांस लगवाकर तार को घरों तक पहुंचवाया। विद्युत विभाग के लोग बकाया वसूली के लिए तो आते हैं लेकिन पोल लगाने या तारों की स्थिति देखने कभी नहीं आते। पटेहरा: विकास खंड क्षेत्र के दीपनगर पॉवर हाउस से संचालित पटेहरा कला, रामपुर, रेक्सा, बनकी, घोरी, सिरसी, लेदुकी, रामपुर अतरी, पथरौर, मझारी, गोहिया, नेवढ़िया, ककरद, अमोई पुरवा, मलुआ, लालापुर, कन्हईपुर समेत अधिकांश गांव में एक - एक किलोमीटर दूर तक बांस के पोल के सहारे लोगों को बिजली कनेक्शन दिया गया है।
कई खंभे जर्जर तो कई पेड़ों के सहारे टिके
मिर्जापुर। नगर के कई मोहल्लों में जर्जर पोल हैं। बूढ़ेनाथ मार्ग पर, रामबाग में, वासलीगंज में संकटमोचन मार्ग पर एक पोल को तो पीपल के पेड़ के सहारे बांधा गया है। घास की गली में एक पोल एकदम से टेढ़ा हो गया है। यह स्थित एक-दो दिन की नहीं है, सालों से है लेकिन आज तक पोल नहीं बदला जा सका। अधीक्षण अभियंता रामदास ने बताया कि नगर के हर इलाके में जर्जर तार और खंभे बदले जाएंगे। सभी जगह खंभे पहुंच गए हैं। जल्द ही यह काम पूरा कराया जाएगा।

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