शाहाबाद।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की निष्क्रियता के चलते तहसील शाहाबाद में स्टांप की कालाबाजारी चरम पर है। लोगों का आरोप है कि स्टांप वेंडर तय फीस से ज्यादा स्टांप बिक्री से वसूल रहे हैं।सूरज बाल्मीकि पुत्र हरीराम निवासी खेड़ा बीबीजई, शाहाबाद के अनुसार तहसील शाहाबाद में स्टांप वेंडर सुभाष सौ रुपये का स्टांप 130/- रुपये में बेंच रहे हैं। तथा 10/- रुपये का स्टांप चार गुना मूल्य अर्थात, 40/- में बेंच रहे हैं। कमोवेश यही भृष्टाचार अन्य स्टांप विक्रेता भी कर रहे हैं।
आरोप है कि तहसील शाहाबाद में कर्तव्यनिष्ठ उपजिलाधिकारी दीक्षा जोशी एवं तहसीलदार अजय कुमार के रहते हुए भी स्टांप विक्रेता सरकार द्वारा तय कीमत से ज़्यादा कीमत वसूल रहे हैं। इससे लोगों को परेशानी हो रही है।ऐसे हालात में प्रशासन को भ्रष्ट स्टांप विक्रेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करना चाहिए।
स्टांप विक्रेताओं की मनमानी से क्षेत्र के ग्रामीण एवं नगरीय जन आक्रोशित हैं।
स्टांप विक्रेता जब तय कीमत से ज़्यादा वसूलते हैं तो क्रेताओं से
स्टांप विक्रेता बहस करने लगते हैं। जब उनसे ज़्यादा कीमत वसूलने का विरोध किया जाता है।इस तरह स्टांप विक्रेता लोगों की जेब पर डाका डालते हैं।
ज्ञातव्य हो कि स्टांप पेपर का इस्तेमाल कई कामों के लिए किया जाता है, जैसे कि किसी अचल संपत्ति को खरीदते समय या उससे जुड़ा कोई भी हस्तांतरण करते समय। अथवा बैंक,बीमा, खेत, जमीन आदि के प्रकरण आदि में स्टांप पेपर्स का सर्वाधिक प्रयोग होता है।
मालूम हो कि जिला प्रशासन ने स्टांप वेंडर को स्टांप पेपर बेचने के लिए लाइसेंस प्रदान कर रखा है। जो विभिन्न कामों में प्रयोग होने वाले स्टांप पेपर को लोगों को देते हैं।भारत विकास परिषद का सुझाव है कि स्थानीय एवं जिला प्रशासन को समय समय पर आकस्मिक निरीक्षण कर भ्रष्ट स्टांप वेंडर को चिंहित कर उस पर सख्त कार्यवाही करना चाहिए।
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