खबर दिनेश प्रसाद मिश्रा
शाहाबाद हरदोई ब्लॉक क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायतों मनरेगा योजना में गांवों का विकास कम ग्राम प्रधानों,सचिव व रोजगार सेवकों का विकास ज्यादा हो रहा है। अंधेर तो यह है कि उन लोगों की भी हाजिरी लगा कर भुगतान लिया जा रहा है,जो न तो काम कर सकते हैं और न ही यहाँ गाँव में मौजूद हैं या फिर दूसरे काम-धंधा करते हैं।गांव में खेले जा रहे इस खेल को जानकार अफसर भी कमीशन के चक्कर में चुप रहते हैं।
मनरेगा योजना से इस समय ग्राम पंचायतों को विकसित करने,कच्चे मार्गो,तालाब खोदाई, सफाई व गूल सफाई जैसे अनेक कार्य चल रहे हैं। नियमत: उसी मजदूर की हाजिरी भरी जानी चाहिए जो काम पर मौजूद है। लेकिन ठेके पर मनरेगा कार्य कराकर पंचायत सचिव व रोजगार सेवक की जुगलबंदी का आलम यह है कि हर कार्य स्थल पर प्रतिदिन 10 से 20 ऐसे मजदूरों की हाजिरी भरी जाती है, जिनके जाब कार्ड तो बनें हैं, लेकिन वह काम करने की स्थिति में नहीं है या दूसरे काम धंधों में लगे हैं. ऐसे लोगों की फर्जी हाजिरी भरकर मेहनताना उनके खाते में भेज दिया जाता है।फिर प्रधान,सचिव व रोजगार सेवक निकालकर बंदरबाँट कर लेते हैं।कई गांवों में मजदूर व रोजगार सेवक समझौता करके पैसा निकाल कर बांट लेते हैं,तो कई गांव ऐसे भी जहां बैंक शाखाओं की मिलीभगत से रोजगार सेवक ही मजूदर के नाम का पैसा निकाल लेते हैं। सूत्रों की माने तो खण्ड विकास अधिकारी मनरेगा में कच्चे कामों में भुगतान कराने के लिये 8 प्रतिशत,पक्के कामों पर 3 प्रतिशत व स्टीमेट बढ़ाने के नाम 2 प्रतिशत अग्रिम जमा कराते हैं,यही मुख्य कारण है कि ग्राम पंचायतों में ठेके पर काम कराने के बाद जिम्मेदार ब्लॉक में बैठे-बैठे फर्जी मजदूर, हाजिरी व उनके अंगूठा लगाकर मनरेगा के खजाने में सेंधमारी लगाकर लाखों का बंदरबाँट कर रहे हैं।
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