रेणुकूट से अनपरा, शक्तिनगर, सिंगरौली में कई औद्योगिक परियोजनाएं संचालित हैं। इन परियोजनाओं के लिए कच्चा माल बड़ी मात्रा में छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, विलासपुर सहित कई अन्य स्थानों से आता है। अभी तक इसकी ढुलाई के लिए सड़क मार्ग का ही विकल्प है। इसी तरह ऊर्जांचल में स्थित एनसीएल की कोल खदानों से छत्तीसगढ़ तक कोयला ढुलाई के लिए भी कंपनियों को लंबे रेल रूट का उपयोग करना होता है। जिससे खर्च का अतिरिक्त बोझ भी बढ़ता है। इसके मद्देनजर रेणुकूट से अंबिकापुर तक नई रेल लाइन बिछाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा सीट से लोकसभा सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह की विशेष रुचि के बाद रेलवे ने तेजी दिखाते हुए इसका सर्वे भी शुरू करा दिया है। नई रेल परियोजना के लिए रेलवे सिविल विभाग ने प्रस्तावित खर्च का जो ब्योरा तैयार किया है, उसके अनुसार पूरी परियोजना में करीब 14 सौ करोड़ की लागत आएगी। इसमें सिविल इंजीनियरिंग 1096 करोड़, इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग 170.44 करोड़ और स्टेशन सहित अन्य मद में 131.36 करोड़ की राशि खर्च होगी।
केंद्र, राज्य और कोल कंपनी देगी सहयोग
रेलवे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अंबिकापुर से रेणुकूट नई रेल परियोजना केंद्र, राज्य व कोल कंपनी की संयुक्त परियोजना होगी। इसके तहत जिस इलाके से लाइन गुजरेगी वहां की सरकार और कोयला कंपनी योजना में सहयोग देगी। इसके अलावा केंद्र भी इस योजना में अपनी ओर से राशि उपलब्ध कराएगी।
विंढमगंज-अंबिकापुर नई रेल लाइन का सर्वे जारी
रेणुकूट से अंबिकापुर के अलावा रेलवे की ओर से झारखंड बार्डर पर स्थित जिले के विंढमगंज से अंबिकापुर तक नई रेल लाइन के लिए भी सर्वे कराया जा रहा है। यह रेल लाइन करीब 180 किमी लंबी होगी। जयपुर की संस्था इसका सर्वे कर रही है। सर्वे का कार्य पिछले माह पूरा कर बोर्ड को रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन बोर्ड ने कुछ खामियां बताकर फिर से रिपोर्ट मांगी है। इस पर काम जोरों पर चल रहा है।
आदिवासी अंचल के लिए साबित होगी लाइफ लाइन
राष्ट्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्श दात्री काउंसिल (एनआरयूसीसी) के सदस्य श्रीकृष्ण गौतम ने दोनों नई रेल लाइन के सर्वे कार्य की पुष्टि करते हुए कहा कि सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ हो गया है। इस रेल लाइन के निर्माण से यूपी, एमपी, छत्तीसगढ़ और झारखंड के रेल यात्रियों को फायदा होगा। इस रेल लाइन से जुड़े सभी सांसदों से निरंतर संपर्क में हूं। सर्वेक्षण कार्य पूरा होते ही इसके निर्माण के लिए रेल मंत्रालय से धनराशि स्वीकृत कराई जाएगी। यह रेल लाइन आदिवासी अंचल के लिए लाइफ लाइन बनेगी। यहां से कोयला एवं अन्य खनिजों की ढुलाई का एक वैकल्पिक रेल मार्ग भी उपलब्ध हो जाएगा।
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