दिनेश प्रसाद मिश्रा
शाहाबाद हरदोई की ब्लॉक टोडरपुर और शाहाबाद भ्रष्टाचार में प्रथम स्थान पर है जिसमें से टोडरपुर ब्लॉक का क्या कहना? यह हरदोई जनपद की ऐसी ब्लॉक है जिसमें शिकायतकर्ता के द्वारा शिकायत तो की जाती है और जाँच भी होती है लेकिन कार्यवाही सिर्फ शून्य। मतलब अगर कोई स्वतंत्र भारत का व्यक्ती शिकायत करने की कोशिश करता है तो पहले तो उसे धमकाया जाता और अगर उस पर धमकी का कोई असर नहीं होता तो उसे झूठे फर्जी मुक़दमे में फंसाया जाता है और अगर फिर भी उस पर कोई फरक नहीं पड़ता तो शिकायतकर्ता की शिकायत पर जांच तो होती है लेकिन कार्यवाही नहीं होती क्यूंकि ब्लॉक के अधिकारियों ने तो भ्रष्टाचार नाम की चादर ओढ़ रखी होती है। क्या मतलब उनको इस बात से कि कार्यवाही होती है या नहीं उनके तो सिर्फ चढावा चढाओ और घर मे सौ जाओ। ये है हमारा स्वतंत्र भारत।
जी हाँ में बात कर रहा हूं हरदोई जनपद की सबसे भ्रष्ट ब्लॉक टोडरपुर की। जिसमें सिर्फ अधिकारियों के द्वारा कागजों पर फर्जी आख्या लगाने की आदत है क्यूंकि उनकी जेब में गांधी जी छपे हुए काग़ज़ तो जेब गर्म कर ही देते है।
इस ब्लॉक की किसी भी ग्राम पंचायत की बात की जाए तो सभी ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार के घेरे में है जिसमें से भ्रष्टाचार से ग्रसित प्रथम ग्राम पंचायत तिउर चौगवा है जिसमें प्रत्येक वर्ष किसी ना किसी कार्य में भ्रष्टाचार होना तय है
यू ही इस ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार नहीं होता इसको जन्म देते हैं ब्लॉक के उच्च अधिकारी क्यूंकि उनका सीधा कहना होता है "तुम कर्म करो फल की इच्छा मत करो" मतलब तुम घोटाला करो शिकायत होगी तो हम बैठे है जाँच तो हमे ही करनी है।
इस बात की पुष्टि तब हुई जब गाव के युवक ने मुख्यमंत्री से शिकायत की और उसकी जाँच ब्लॉक के अधिकारियों के द्वारा की गयी जिसमें "अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी देखने को मिली"इसका मतलब ये कि जाँच तो हुई लेकिन आख्या आंखों को बंद करके फर्जी लगाई गयी लेकिन अधिकारी ये भूल गए कि ये कलयुग है साहब जिसे हम मशीनरीयुग भी कहते है जिसमें ग्राम पंचायत में कार्य बाद में होता है लेकिन जानकारी पहले ही हो जाती है कितना खर्चा आयेगा।
यही कुछ यू हुआ कि ग्राम पंचायत तिउर मे वर्ष 2021-22 में ह्युम पाइप का भुगतान फर्जी रूप से बिना पाइप खरीदे सेक्रेटरी( दिनेश यादव) और प्रधान (प्रतिभा सिंह) के द्वारा कर लिया गया जबकि पूर्व प्रधान (नन्ही देवी) द्वारा ह्युम पाइप अपनी प्रधानी के समय खरीदे जा चुके थे जो ग्राम पंचायत अधिकारी धीरज पांडेय को कार्यकाल समाप्त होने के बाद हैंगओवर कर दिए । जब इस बात की जानकारी हुई कि फर्जी रूप भुगतान हुआ तब शिकायती प्रार्थना पत्र जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से जिला पंचायत राज अधिकारी को भेजा गया जिसमें उनके द्वारा आख्या लगाई गयी कि कृपया शपथ पत्र पर शिकायती प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी को दे उसके बाद जाँच की जाएगी। ये आख्या इसीलिए थी क्यूंकि कुछ छींटे जिला पंचायत राज अधिकारी तक भी गयी थी। उसके बाद शिकायत मुख्यमंत्री महोदय को भेजी जाती है जिसमें जाँच आख्या में ग्राम पंचायत अधिकारी(दिनेश यादव), सहायक विकास अधिकारी , खंड विकास अधिकारी सहित जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा आख्या लगाई जाती है कि पूर्व प्रधान द्वारा ह्युम पाइप कभी क्रय ही नहीं किए गए।
जब इस बात की पुष्टि पूर्व प्रधान प्रतिनिधि सुशील कुमार दीक्षित से की गयी तो उनके द्वारा बताया गया कि (नन्ही देवी) निवर्तमान प्रधान के द्वारा वर्ष 2018-19 में लगभग 85000 रुपये की धनराशि से ह्युम पाइप क्रय किए गए। जिसके बिल की कॉपी उनके पास उपलब्ध है।
अब इससे स्पष्ट होता है कि ब्लॉक टोडरपुर में किस तरह से जांच होती है और आखिर क्यूँ ब्लॉक के अधिकारियों के रवैये को भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है। इस प्रकार के जाँच अधिकारियों सहित भ्रष्टाचारियो पर आखिरकार कब होगी कार्यवाही।।
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